उजालों को क्या खबर… कितना तेल, कितना सुत स्वाह हुवा…
प्रशांत होगा मन में अशांत… मुद्दत जो लड़ा मैं…
सबको था गर्व… कैसे पल में हवा हुवा…
मीठा बोला, सबने तोला… आगे खड़ा और लड़ा…
रास्ता दिखाया… पर फना हुवा…
तारीफ की सबने जब तक… शिखर की तरफ मुह ना हुवा…
उजालों को क्या खबर… कितना तेल, कितना सुत स्वाह हुवा…
जानता हूँ फैसला, पहले ही हो चूका… पर मन पूछेगा, क्यों यूँ तू, एकदम बेपरवाह हुवा
उजालों को क्या खबर… कितना तेल, कितना सुत स्वाह हुवा…
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